Author: *सविता मिश्रा

कविता

चोका

मेघ निबहश्याम श्वेत निर्मोहीभ्रम फैलायेउड़ती घटा छायेसूर्य आछन्नदुविधा में फंसाएकाम बढाएअकस्मात बरखाबाहर डालेकपड़े निकालतेफिर डालतेगृहलक्ष्मी दुचित्ताक्रोध बढ़ाएउलझौआ पयोदवक्त कीमतीदुरुपयोग होतावक्त

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