माँ सम कोई नहीं
तुम्हारी विस्तार को कैसे दे शब्दों से लगाम। तुम तो हो अथाह अनंत नहीं हो कोई आम। माँ के बराबर
Read Moreतुम्हारी विस्तार को कैसे दे शब्दों से लगाम। तुम तो हो अथाह अनंत नहीं हो कोई आम। माँ के बराबर
Read Moreपरिपक्व स्त्रियाँ भी सोलह वर्षीय कमसिन बाला की तरह चंचल हो जाती हैं ज़ब लोग कहते हैं की आपसे लगाव
Read Moreजब भी जाऊँ ऑफिस तो ध्यान रहता है बस उधर, कब बजे दोपहर के डेढ़ निकालूँ कब अपनी मैं टिफिन।
Read Moreरंगों से तुम कभी न डरना रंग बदलते रंग नहीं। तुम चाहे कितने ही बदलो कभी बदलते ढंग नहीं।। एक
Read More“क्या हुआ निखिल? इतनी दूर से क्या इशारा कर रहे हो। कुछ समझ नहीं आ रहा है।” ऐसा कहकर नंदिनी
Read Moreनंदिनी बहुत लापरवाह हो तुम।क्यों ऐसा करती हो? तुम लापरवाह हो या तुम्हारे घर वाले, मुझे कुछ समझ नहीं आता।
Read Moreलौट के तो आ गए कदमपर साँसें वही गई है थम।यादों की गठरी को चुन लीजीवन में अब कैसा है
Read Moreघर द्वार भी सजाए, बंदनवार भी लगाए,किया घट को स्थापित अखंड दीप भी जलाएं,रूप माता की देखो कैसे निखरीशोभे है
Read Moreपहले यह दिल मेरा ही था,हम बस मन की सुनते रहे|जब से तुम आ गए हो सखे,ख्वाब सुनहरे बुनते रहे|
Read Moreमहाभारत के श्रेष्ठतम पात्र,वह थे उनके ही ज्येष्ठ भातृ|किया शिशु को प्रवाहित गंगा नदी में,जो थी उनकी और पांडवों की
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