निज चंदा की चांदनी मैं
एक ढलती शाम,आईना को किया साफ उसने कहा देर से ही सही, आ गई पास| आई हो अब, जब घिर
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Read Moreबचपन की दोस्त वैदेही की शादी ठीक हो गई थी. अब उसे शुभकामना देने उसके घर जाना था, सुबह-सुबह उसके
Read Moreउस वक्त तुमने कुछ न कहा मैंने कितना कुछ था सहा आज कहते हो रुक जाओ ढूंढ लिया जब अपना
Read Moreकैसे बताऊं, मेरी पहचान थी अनजान, लेखनी मेरी सिमटी डायरी के पन्नों में, मन की बातें उकेर देती, फिर उसी
Read Moreवो कहते हैं हमसे दे जाओ कोई निशानी बिन तेरे हमको है अब कुछ दिन बितानी आई थी जब तो
Read Moreमिल जाते हैं कुछ अनजान हो जाती फिर जान पहचान शायद रह गया कुछ अधूरा सा दे जाते वह अपने
Read Moreअब खुद में ही रम गयी बता तो दूं सारी बातें जता तो दूं सारी जज्बाते यशोधरा उर्मिला की भांति
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