सम्बंध के दोहे
नित पावन सम्बंध हों,तब बनती है बात। पावनता यदि लुप्त हो,तो अँधियारी रात।। सदा सुहावन बंध हो,तब भूषित सम्बंध। अस्थायी
Read Moreनित पावन सम्बंध हों,तब बनती है बात। पावनता यदि लुप्त हो,तो अँधियारी रात।। सदा सुहावन बंध हो,तब भूषित सम्बंध। अस्थायी
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। करना है जो,कर ही डालो,प्रिय तुम लक्ष्य वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा
Read Moreधरती माता पालती,संतति हमको जान। धरती माता के लिए,बेहद है सम्मान।। अवनि लुटाती नेह नित,करुणा का प्रतिरूप। इसकी पावन गोद
Read Moreरोटी की महिमा बड़ी,रोटी रखे प्रताप । रोटी से ही बल मिले,रोटी से ही ताप ।। रोटी सचमुच है ख़ुदा,रोटी
Read Moreपिता कह रहा है सुनो,पीर,दर्द की बात। जीवन उसका फर्ज़ है,नहिं कोई सौगात।। संतति के प्रति कर्म कर,रचता नव परिवेश।
Read Moreअमर मुहब्बत की कथा, है भावों का नूर। शाहजहाँ ने रच दिया, ताजमहल भरपूर।। बेग़म पर सब वारकर, दिया सुखद
Read More(१) महादेव शिव की दया,है हम पर उपकार। जीवन यह सुख से भरा,स्वप्न किए साकार। उमासंग कल्याणमय,हे प्रभु दयानिधान, भोलेबाबा
Read More(1) गाँठ मन की खुल गई,मधुमास सुखकर लग रहा। गुल खिले हैं ख़ूब ही,अवसाद डर से भग रहा। हैं सतातीं
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। फैला चारों ओर अँधेरा,पर तुम लक्ष्य वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा जो
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