चेतना के दोहे
नित पावन सम्बंध हों,तब बनती है बात। पावनता यदि लुप्त हो,तो अँधियारी रात।। सदा सुहावन बंध हो,तब भूषित सम्बंध। अस्थायी
Read Moreनित पावन सम्बंध हों,तब बनती है बात। पावनता यदि लुप्त हो,तो अँधियारी रात।। सदा सुहावन बंध हो,तब भूषित सम्बंध। अस्थायी
Read Moreपुष्प सुखद लगते हमें,देकर नित्य सुगंध। मधुर करें ये पुष्प तो,आपस के संबंध ।। पुष्प विहँसते ही रहें,बाधाओं के बीच।
Read Moreचौराहे पर लॉकडाउन के नियमों को लागू कराने के लिए ड्युटी पर तैनात पुलिस कॉन्सटेबल ब्रजेश के मोबाइल फोन पर
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। फैला चारों ओर अँधेरा,अब उजियार करो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा जो भी
Read Moreनया काल है,नया साल है,गीत नया हम गाएँगे। करना है कुछ नवल-प्रबल अब,मंज़िल को हम पाएँगे।। बीत गया जो,उसे भुलाकर,
Read Moreऐे सैनिक,फौज़ी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।। गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी अपनी माटी की रक्षा
Read More“नेह निभाने आ गया,एक और नव वर्ष। आओ,हम आगे बढ़ें,लेकर मन में हर्ष।।” हर नया साल कुछ नई उम्मीदें लेकर
Read Moreमंडला— नया साल फिर से अपने साथ नई उम्मीदें, नई आशाएं, नया उत्साह, नया लक्ष्य और नए वायदों के साथ
Read Moreघना कुहासा नभ में छाया, सर्दी का मौसम है आया। ठंडक ने जब कहर ढहाया,थर-थर काँपे सबकी काया।। बर्फीली चल
Read Moreभारत माँ का लाल हूँ,दे सकता हूँ जान। करता हूँ मन-प्राण से,मैं इसका यशगान। आर्यभूमि जगमग धरा, बाँट रही उजियार।
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