नववर्ष-2022 के दोहे
सूरज आया इक नया,गाने मंगल गीत ! प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत !! उसकी ही बस हार है,जो
Read Moreसूरज आया इक नया,गाने मंगल गीत ! प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत !! उसकी ही बस हार है,जो
Read Moreसर्द हवाएँ चल रहीं,फैला है आतंक। जाड़े ने ढाया कहर,मार रहा है डंक।। कुहरे ने सब कुछ ढँका,सूझे भी नहिं
Read Moreमंडला- पत्र-पत्रिकाओं अथवा पुस्तकों में जो गीत या साहित्य प्रकाशित होते हैं, उसमें हृदय की अभिव्यक्ति होती है l
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। फैला चारों ओर अँधेरा,अब उजियार वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा। जो भी
Read Moreनहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक। सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक।। सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत। जहान धर्म-कर्म मान,मीत
Read Moreसतत साधना से बढ़े,मेरा सकल समाज। यही कामना,चाह है,भाई मेरी आज।। सतत साधना संग हो,तब गति होगी दून। ध्यान और
Read Moreमंडला–कविता की उपयोगिता को शब्दों की परिधि में कैद नहीं किया जा सकता ! कविता अपने आप में जितनी व्यापक
Read More(1) नारी से शोभा बढ़ती है,नारी फर्ज़ निभाती है। नारी कर्म सदा करती है,नारी द्वार सजाती है।। सबको कब यह
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