कविता-सृजन पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी
मंडला— नया साल फिर से अपने साथ नई उम्मीदें, नई आशाएं, नया उत्साह, नया लक्ष्य और नए वायदों के साथ
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Read Moreघना कुहासा नभ में छाया, सर्दी का मौसम है आया। ठंडक ने जब कहर ढहाया,थर-थर काँपे सबकी काया।। बर्फीली चल
Read Moreभारत माँ का लाल हूँ,दे सकता हूँ जान। करता हूँ मन-प्राण से,मैं इसका यशगान। आर्यभूमि जगमग धरा, बाँट रही उजियार।
Read Moreसूरज आया इक नया,गाने मंगल गीत ! प्रियवर अब दिल में सजे,केवल नूतन जीत !! उसकी ही बस हार है,जो
Read Moreसर्द हवाएँ चल रहीं,फैला है आतंक। जाड़े ने ढाया कहर,मार रहा है डंक।। कुहरे ने सब कुछ ढँका,सूझे भी नहिं
Read Moreमंडला- पत्र-पत्रिकाओं अथवा पुस्तकों में जो गीत या साहित्य प्रकाशित होते हैं, उसमें हृदय की अभिव्यक्ति होती है l
Read Moreअसफलता है एक चुनौती,दो-दो वार करो। फैला चारों ओर अँधेरा,अब उजियार वरो।। साहस लेकर,संग आत्मबल बढ़ना ही होगा। जो भी
Read Moreनहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक। सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक।। सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत। जहान धर्म-कर्म मान,मीत
Read Moreसतत साधना से बढ़े,मेरा सकल समाज। यही कामना,चाह है,भाई मेरी आज।। सतत साधना संग हो,तब गति होगी दून। ध्यान और
Read Moreमंडला–कविता की उपयोगिता को शब्दों की परिधि में कैद नहीं किया जा सकता ! कविता अपने आप में जितनी व्यापक
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