होली के दोहे
रंगों के सँग खेलती,एक नवल- सी आस ! मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास !! लगे गुलाबी ठंड पर,आतपमय
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Read Moreसमरसता यदि संग है,तो पलता मधुमास। अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास।। समरसता-आचार तो,है करुणा का रूप।। जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप।।
Read Moreवास्तव में खुशी क्या है? प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु ने कहा था कि खुशी जीवन का अर्थ और उद्देश्य दोनों है।
Read More(1) जीना इक अरमान है,जीना इक पहचान जीने का सम्मान हो,जीने का यशगान जीने का यशगान,प्यार का प्याला पीना मानवता
Read Moreखड़े खंडहर आज जो,कहते वे इतिहास। कला-विरासत को लिए,देते सुख-अहसास।। दिखती जिनमें श्रेष्ठता,होता गौरव-बोध। ढूँढ़-ढूँढ़कर कर रहे,पढ़ने वाले शोध।। कहीं
Read Moreमाता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार। लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार।। माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार। माता
Read More(1) मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन मैं चलकर
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
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