कुंडलिनी छंद – जीवन-लक्ष्य
(1) जीना इक अरमान है,जीना इक पहचान जीने का सम्मान हो,जीने का यशगान जीने का यशगान,प्यार का प्याला पीना मानवता
Read More(1) जीना इक अरमान है,जीना इक पहचान जीने का सम्मान हो,जीने का यशगान जीने का यशगान,प्यार का प्याला पीना मानवता
Read Moreखड़े खंडहर आज जो,कहते वे इतिहास। कला-विरासत को लिए,देते सुख-अहसास।। दिखती जिनमें श्रेष्ठता,होता गौरव-बोध। ढूँढ़-ढूँढ़कर कर रहे,पढ़ने वाले शोध।। कहीं
Read Moreमाता की चिट्ठी मिली,झंकृत उर के तार। लगता मुझको मिल गया,यह पूरा संसार।। माता की चिट्ठी सुखद,जो लगती उपहार। माता
Read More(1) मुझे गीता ने सिखलाया,जिऊँ मैं कैसे यह जीवन सुवासित कैसे कर पाऊँ,मैं अपनी देह और यह मन मैं चलकर
Read Moreसकल दुखों को परे हटाकर,अब तो सुख को गढ़ना होगा ! डगर भरी हो काँटों से पर,आगे को नित बढ़ना
Read Moreमंडला–शासकीय गर्ल्स कॉलेज में प्राचार्य प्रो.शरद नारायण खरे के मार्गदर्शन व श्री रूपेश भादे के संयोजन में ईको क्लब–हरित कोर
Read Moreबचपन सबका हँसकर बीते,यह ही बस चाहत है, नहीं रहे वंचित कोय बच्चा,यही मेरा अभिमत है। पालन-पोषण,शिक्षा,शैशव,सब कुछ अब मोहक
Read Moreकैसा कलियुग आ गया,बदल गया इंसान। दौलत के पीछे लगा,तजकर सब सम्मान।। बदल गया इंसान अब,भूल गया ईमान पाकर दौलत
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