नव वर्ष की बधाई !
नवीन उमंग नव मन में तरंग नव नाद उन्माद नव कामना का ज्वार हो नव-नव ताल में मुदित नव कंज
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Read Moreबाबू प्रेमलाल न सिर्फ नाम बल्कि काम से भी बाबू ही थे। वे अपने को आॅफिस का बाबू कम बापू
Read Moreचोरी करना अपराध ही नहीं पाप भी है। चोरी, एक ऐसा कुकृत्य है जिसके बिना सभ्य समाज का काम नहीं
Read Moreसारा शहर सन्नाटे में डूबा था। अजीब-सा सन्नाटा पसरा था, हर तरफ। सभी की आँखों में बस एक ही प्रश्न
Read Moreजब से तुम पलकों के पट में स्वप्न बन कर खो गए नैन मंदिर हो गए हैं, अश्रू चंदन हो
Read Moreकिसी भी देश की एक पहचान होती है, उसके नागरिकों से। और नागरिकों की उनके गुणों से। इस आधार पर
Read Moreदीप हूँ मैं मैं मनुज के खोज की पहली कहानी जगत के उत्थान की मैं हूँ निशानी बिखर जाऊँ तो
Read Moreजब-जब दीप जलेंगे, दीवाली भी तब-तब हो जाएगी। अंधकार की इस दुनिया में, नहीं उम्र होती है ज्यादा और सूर्य
Read Moreमानव जीवन के चार पुरूषार्थों में से एक है-अर्थ अर्थात् धन अर्थात् लक्ष्मी। पर एक प्रकार का धन और होता
Read Moreसागर मंथन के पश्चात् क्षीरसागर का वातावरण प्रायः शांत और सौम्य ही रहा करता था। भारतीय राजनीति में दल के
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