ग़ज़ल
आग ही आग हर तरफ देखा। शाख का मूल का फरक देखा। बूढ़े पत्तों को शाख रखते कब , खास
Read Moreइधर देखो, उधर देखो , चारों तरफ है शोर बहुत । कुछ लोग फेकते हैं पत्थर , जो समझ रहे
Read Moreसड़कों पर है शोर बहुत, पहरेदारी जोर बहुत। लगा रहे आना जाना, कलगीधारी मोर बहुत। सैलाबों सा है इन्सां ,
Read Moreरंगों का त्योहार है यौवन, हंसना- रोना प्यार है यौवन। स्वप्न -लोक में आना-जाना , सफर सलोना यार है यौवन।
Read Moreआवाज बंद नही हो रही, लगता है मामला कुछ ज्यादा ही गर्म दिख रहा है । दरवाजे के बाहर रमेश
Read Moreआने का रहता है इन्तजार जाने क्यों हर शाम को तेरा दोस्तों की मंडली का होती है एक दुशरे का
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