तृष्णा
आशा तृष्णा लोभ समान हैं बांधे भीतर मन जात दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है पिस जाए यह गात मृग तृष्णा
Read Moreमिलते हैं नसीब में सब को,मस्त भरे खुशीयों के रंग। होठों पर मुस्कान बिखेरे,होते पुलकित भीतर अंग। तज कर बैर
Read Moreमत काट मत काट विनती कर जोड़ करूँ। तेरे काम आता हूँ तेरे हर दुख दर्द मैं हरूँ। तेरे बुजु़र्गों
Read Moreमन होश रहे,तन जोश रहे,रोक नहीं राह कोई सकता। बल तन में, विश्वास मन में,रोक नहीं राह कोई सकता। होश
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