होली
अम्बर पर यौवन चढ़ आया,अवनि हँसी-मुस्काई।कहे कूकती कोयल काली,आई होली आई।कण कण में मधु-मिश्री जैसी,महके मीठी बोली।सज-धजकर ऋतु सुखद सुहानी,चली
Read Moreजश्ने-आजादी मना लो मुस्करा लो ऐ वतन!है मुबारक़ दिन ये’ जिनसे उन शहीदों को नमन।। हर ख़ुशी अपनी भुला जो
Read Moreपधारे हो तुम जब से प्रेम! हुआ है वासंती मधुमास। चढ़े कण-कण में अद्भुत रंग, विहँसते हर प्राणी के अंग।
Read Moreचाह रहा हिय कभी न टूटे, जीवन की यह डोर। हाय अभागी ओ मृगतृष्णा! कहाँ तुम्हारा छोर? रूप बदलता भाग
Read Moreकैसे बीतेगा यह जीवन,और रहेगी कब तक दूरी? पाती आज लिखी है फिर प्रिय!भेजी नहीं रही मज़बूरी। कहते थे तुम
Read Moreएक निवेदन प्रियजन सबसे,यदि चाहो तो स्वीकार करो। जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।। माना स्थिति हैै बहुत भयावह, पर
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