गीतिका/ग़ज़ल

जश्ने-आजादी मना लो

जश्ने-आजादी मना लो मुस्करा लो ऐ वतन!
है मुबारक़ दिन ये’ जिनसे उन शहीदों को नमन।।

हर ख़ुशी अपनी भुला जो मुल्क पर होते फिदा।
नूर है उनसे फ़लक पर ज़िन्दगी उनसे चमन।।

भूलना मुमकिन नहीं उनकी शहादत को कभी।
नाज़ सारे देश को है, हैं सजल सबके नयन।।

माँ के आँचल की दुआओं का असर ऐसा हुआ।
जाँ हथेली में लिये बाँधे रहे सिर पर कफ़न।।

आब है उनकी बदौलत गुनगुनाती है सबा।
चूमता रहता तिरंगा चाँद सूरज का बदन।।

उस वफ़ादारी मुहब्बत से महकती है फ़ज़ा।
हैं सलामत आज उनसे शोखियाँ औ बाँकपन।।

आँख के तारे वही उनसे ‘अधर’ है ज़िन्दगी।
वो अमर हैं जब तलक़ हैै ये धरा सारा गगन।।

— शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com