बाल कविता

भाई

बहनों को हैं भाते भाई।
हँसते और हँसाते भाई।।

सूरज – चंदा जैसे होते,
तम को स्वयं मिटाते भाई।

राखी के धागों में बँधकर,
हर उलझन सुलझाते भाई।

आँधी,पानी,आतप ग़म का,
सबसे सदा बचाते भाई।

प्रश्न सभी हल कर देते हैं,
मुश्किल दूर भगाते भाई।

हितचिंतक होते हैं लेकिन,
गाना कभी न गाते भाई।

शूल हटाते हैं राहों सें,
फूलों से मुस्काते भाई।

सुख-दुख में सँग हँसते रहते,
मित्र-सखा बन जाते भाई।

जब मायूस ‘अधर’ दिल होता,
ख़ुशियाँ भर-भर लाते भाई।।

— शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com