मेरी बूँद बूँद अनमोल
मैं निराकार निज गुण धर्म नहीं सब रूपों में रह लेता, जिसमें मिल जाऊँ जहाँ रख जाऊँ रूप रंग वही
Read Moreमैं निराकार निज गुण धर्म नहीं सब रूपों में रह लेता, जिसमें मिल जाऊँ जहाँ रख जाऊँ रूप रंग वही
Read Moreमां का दुलार अमृत की फुहार भिगो दे मन मां का सम्बल बढ़ा दे आत्मबल छटे निराशा अधूरी आस पूरी
Read Moreहे प्रभो हमारे मन मन्दिर में ज्योतिर्मय दीप जला देना जीवन में सबके भर प्रकाश खुशियों के फूल खिला देना
Read Moreऐसा एक आशियाना हमारा हो बर्फ की चादर ओढ़े श्वेत पहाड़ों की वादियों में सुदूर से आती कल-कल करती नदी
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