लघुकथा – पालना
पहली किलकारी सुनने से पहले ही अविनाश ने बच्चे का कमरा तो तैयार करवा दिया था पर किसी कारण वश
Read Moreपहली किलकारी सुनने से पहले ही अविनाश ने बच्चे का कमरा तो तैयार करवा दिया था पर किसी कारण वश
Read Moreछोटी दिवाली की रात वह माँ के ख्यालों में ही भटकती रही थी । उसे वे दिन याद आने लगे
Read Moreसर्दी के दिनों में अंगूरा तालाब के किनारे अपनी जेब में चने भरे बैठा था। एक चना निकालता ,फिर बड़ी
Read Moreनदी के किनारे-किनारे सुंदरम गाँव बसा हुआ था। ऊंचे ऊंचे पहाड़ ,बहता हुआ पानी,महकते फूल और हरियाली के बीच खिलखिलाता
Read Moreप्रशंसा सुनकर लोग फूलकर कुप्पा होजाते हैं एक क्षण में अपनी औकात भूल जाते हैं। चलते हैं जमीन पर सोचते
Read More1-जादू -अरे पापा आपकी अलमारी से इतने नोट झड़ पड़े। मैजिक–। कहाँ से आ गए। मुझे तो आप एक रुपया
Read Moreमनोहर बहुत दिनों से ससुराल न जा पाया था। उसके ससुर का स्वास्थ्य कुछ ढीला ही चल रहा था इसलिए
Read Moreचीकू एक प्यारा सा सुंदर बच्चा था । उसके घर में जानवरों से सबको प्यार था । उसके पापा ने तो
Read More-ओह !तो तू इस मकान में रहती है? -इसे मकान न कहो—यह तो मेरा घर है। इसमें मुझे आराम मिलता
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