लघुकथा

लघुकथा – अनुभूतियाँ

-ओह !तो तू इस मकान में रहती है?

-इसे मकान न कहो—यह तो मेरा घर है। इसमें मुझे आराम मिलता है। अपनापन महसूस होता है। हर चीज मुझे प्यार करती नजर आती है।

-ऊँह, बेजान का तो बेजान प्यार ही हुआ। न तेरे यहाँ चहल-पहल। न शोर शराबा। तू तो यहाँ अकेली है। बिलकुल अकेली। न जाने कैसे अकेली रह लेती है।

-अकेली हूँ पर अकेलापन कभी नहीं लगता। मेरे साथ मेरी किताबें है। बोलती हैं तो घंटों उनकी आवाज मेरे कानों को सुनाई देती रहती है। ये किताबें देख रही है इनकी मैंने रचना की है। जिस तरह से माँ अपने बच्चे को जन्म देती है फिर उसको साज-संवार कर बड़ा करती है उसी तरह से मैंने इसकी कहानियों को जन्म दिया है। बड़ी मेहनत से काँट छाँटकर इन्हें किताब में जड़ दिया है। न ही ये छोडकर जाना चाहती हैं और न ही मैं इन्हें छोड़ सकती। दुनिया के किसी कोने में चली जाएँ पर संबंध तो मेरे से रहेगा ही। अब तू ही बता संतान के होते हुए माँ कभी अकेली रही है।

वह परछाईं की तरह तुरंत  अदृश्य हो गई क्योंकि वह खुद एक माँ थी और माँ-माँ की अनुभूतियाँ एकाकार हो उठीं।

सुधा भार्गव 

सुधा भार्गव

जन्म -स्थल -अनूपशहर ,जिला –बुलंदशहर (यू .पी .) शिक्षा --बी ,ए.बी टी (अलीगढ़ ,उरई) प्रौढ़ शिक्षा में विशेष योग्यता ,रेकी हीलर। हिन्दी की विशेष परीक्षाएँ भी उत्तीर्ण की। शिक्षण --बिरला हाई स्कूल कलकत्ता में २२ वर्षों तक हिन्दी भाषा का शिक्षण कार्य |किया शिक्षण काल में समस्यात्मक बच्चों के संपर्क में रहकर उनकी भावात्मक ,शिक्षात्मक उलझनें दूर करने का प्रयास रहा । सेमिनार व वर्कशॉप के द्वारा सुझाव देकर मुश्किलों का हल निकाला । सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों की अभिनय काला को निखारा । समय व विषय के अनुसार एकांकी नाटक लिखकर उनके मंचन का प्रयास हुआ । संस्थाएं --दिल्ली -ऋचा लेखिका संघ ,हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा साहित्यिकी (कलकत्ता ) से जुड़ाव । दिल्ली आकाशवाणी रेडियो स्टेशन में बालविभाग व महिला विभाग के जुड़ाव के समय बालकहानियाँ व कविताओं का प्रसारण हुआ । देश विदेश का भ्रमण –राजस्थान ,बंगाल ,दक्षिण भारत ,उत्तरी भारत के अनेक स्थलों के अतिरिक्त सैर हुई –कनाडा ,अमेरिका ,लंदन ,यूरोप ,सिंगापुर ,मलेशिया ,नेपाल आदि –आदि । साहित्य सृजन --- विभिन्न विधाओं पर रचना संसार-कहानी .लघुकथा ,यात्रा संस्मरण .कविता कहानी ,बाल साहित्य आदि । साहित्य संबन्धी संकलनों में तथा पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन विशेषकर अहल्या (हैदराबाद)।अनुराग (लखनऊ )साहित्यिकी (कलकत्ता )नन्दन (दिल्ली ) अंतर्जाल पत्रिकाएँ –द्वीप लहरी ,हिन्दी चेतना ,प्रवासी पत्रिका ,लघुकथा डॉट कॉम आदि में सक्रियता । प्रकाशित पुस्तकें— रोशनी की तलाश में --काव्य संग्रह इसमें गीत ,समसामयिक कविताओं ,व्यंग कविताओं का समावेश है ।नारीमंथन संबंधी काव्य भी अछूता नहीं। बालकथा पुस्तकें---कहानियाँ मनोरंजक होने के साथ -साथ प्रेरक स्रोत हैं। चरित्र निर्माण की कसौटी पर खरी उतरती हुई ये बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होंगी ऐसा विशवास है । १ अंगूठा चूस २ अहंकारी राजा ३ जितनी चादर उतने पैर 4-मन की रानी छतरी में पानी 5-चाँद सा महल सम्मानित कृति--रोशनी की तलाश में(कविता संग्रह ) सम्मान --डा .कमला रत्नम सम्मान , राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान पुरस्कार --राष्ट्र निर्माता पुरस्कार (प. बंगाल -१९९६) वर्तमान लेखन का स्वरूप -- बाल साहित्य, लोककथाएँ, लघुकथाएँ लघुकथा संग्रह प्रकाशन हेतु प्रेस में