लघुकथा

लघुकथा – पालना 

     पहली किलकारी सुनने से पहले ही अविनाश ने बच्चे का कमरा तो तैयार करवा दिया था पर  किसी कारण वश पालना नहीं ख़रीद पाया  । बच्चे को माँ के साथ सोते सवा महीना हो चुका था ।अब वह पालना ख़रीदने को बेचैन हो उठा । बच्चे को अलग सुलाने का वह  पक्षपाती था ताकि उसका ठीक से विकास हो सके और स्वस्थ रहे ।

उसने एमोज़ोन पर  २-३ पालने पसंद किए । पत्नी को दिखाते हुए बोला –

“इनमें से कोई एक पसंद कर लो।”

      “बच्चे को अभी अलग सुलाने की ज़रूरत नहीं । मैं इसके बिना नहीं सो सकती ।”उसने रोषभरी आँखों से देखा। 

      “फिर उसको अपने कमरे में सोने की आदत कैसे पड़ेगी ?”

     “जब समय आएगा आदत भी पड़ जाएगी ।”रुखाई से  बोलकर बच्चे की तरफ़ करवट ले ली।

दाल न गलने पर अविनाश झुकता सा बोला -”ठीक है कुछ दिन और सही पर पालना तो पसंद कर दो  और हाँ यह भी बता दो उसका तकिया कैसा होना चाहिए ?”

     “मैं अक्सर थक कर  माँ की गोद में सो ज़ाया करती ।बिस्तर पर नींद आती ही नहीं थी। माँ तो बैठे बैठे ही न जाने कब कब में झपकी ले लेती। पर उस समय भी चेतन रहती थी।  जिधर भी मैं सिर घुमाती ,माँ उसीके अनुसार घुटनों को हिलाकर  गड्ढा बना देती और मेरा सर आराम से उस पर टिका  रहता।बस तकिया ऐसा ही होना चाहिए ।जरा भी कुनकुनाती तो माँ अपना एक घुटना हिलाने लगती, मुझे लगता मैं पालने में झोटे खा रही हूँ ।फिर सो जाती।  एकदम ऐसा ही तकिये वाला पालना खरीद लाओ। हाँ एक चादर भी तो लानी होगी।  ।”

“चादर कैसी हो –वह भी बता दो।”

“मैं तो माँ की   धोती से लिपट कर ही सो जाया करती थी । उसमें उसकी खुशबू जो आती थी ।” मुंह पर मीठी सी हंसी लाते हुए न जाने वह  कहाँ खो गई ।

    अविनाश पहले तो असमंजस  में था फिर  एकाएक हंस पड़ा और चुटकी लेते हुए पूछ ही लिया –

    “पालने में कोई म्यूज़िकल टॉय तो लगाना होगा । कैसा खिलौना लाऊँ?

    “ खिलौना भी ऐसा हो जिसमें से माँ की लोरी सा संगीत सुनाई दे और मेरा चुनमुन झट से सो जाए ।”

अविनाश को अब अपनी पत्नी की बातों में आनंद आने लगा था  जिसके तार बेपनाह मोहब्बत से जुड़े हुए थे। उसने एक प्रश्न और दाग दिया

     “अच्छा मैडम ,पालने के  ऊपर जाली वाली एक छतरी भी तो लगानी जरूरी है जो हमारे बच्चे को मक्खी -मच्छर से बचाये।”

     “हूँ— छतरी तो माँ के पल्लू की तरह हो तो ज्यादा अच्छा है जो मक्खी- मच्छर से ही नहीं उसे सर्दी-गरमी और लोगों की काली नजर से भी बचाये।”

     अविनाश ने भरपूर निगाहों से  पत्नी को निहारा । फिर अपने हाथ में उसका हाथ लेकर बोला–”ऐसा पालना तो तुम्हारे पास पहले से ही है !”

“मेरे पास  ?” विस्मय से उसने देखा।

     “हाँ हाँ तुम्हारी गोदी! गोदी क्या पालने से कम है जिस पर हमेशा तुम्हारी ममताभरी बाहों का चंदोबा तना रहता है।  !”

    पत्नी के सूखे होंठ  प्रेममयी बारिश की बूँदों  से तरल हो उठे ।

उसने फुर्ती से अपने चुनमुन को कलेजे से लगा लिया । ममता की  महक से सोते हुए नवजात शिशु  के गुलाबी होठों पर मुस्कान थिरक उठी ।

— सुधा भार्गव

सुधा भार्गव

जन्म -स्थल -अनूपशहर ,जिला –बुलंदशहर (यू .पी .) शिक्षा --बी ,ए.बी टी (अलीगढ़ ,उरई) प्रौढ़ शिक्षा में विशेष योग्यता ,रेकी हीलर। हिन्दी की विशेष परीक्षाएँ भी उत्तीर्ण की। शिक्षण --बिरला हाई स्कूल कलकत्ता में २२ वर्षों तक हिन्दी भाषा का शिक्षण कार्य |किया शिक्षण काल में समस्यात्मक बच्चों के संपर्क में रहकर उनकी भावात्मक ,शिक्षात्मक उलझनें दूर करने का प्रयास रहा । सेमिनार व वर्कशॉप के द्वारा सुझाव देकर मुश्किलों का हल निकाला । सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों की अभिनय काला को निखारा । समय व विषय के अनुसार एकांकी नाटक लिखकर उनके मंचन का प्रयास हुआ । संस्थाएं --दिल्ली -ऋचा लेखिका संघ ,हिन्दी साहित्य सम्मेलन तथा साहित्यिकी (कलकत्ता ) से जुड़ाव । दिल्ली आकाशवाणी रेडियो स्टेशन में बालविभाग व महिला विभाग के जुड़ाव के समय बालकहानियाँ व कविताओं का प्रसारण हुआ । देश विदेश का भ्रमण –राजस्थान ,बंगाल ,दक्षिण भारत ,उत्तरी भारत के अनेक स्थलों के अतिरिक्त सैर हुई –कनाडा ,अमेरिका ,लंदन ,यूरोप ,सिंगापुर ,मलेशिया ,नेपाल आदि –आदि । साहित्य सृजन --- विभिन्न विधाओं पर रचना संसार-कहानी .लघुकथा ,यात्रा संस्मरण .कविता कहानी ,बाल साहित्य आदि । साहित्य संबन्धी संकलनों में तथा पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन विशेषकर अहल्या (हैदराबाद)।अनुराग (लखनऊ )साहित्यिकी (कलकत्ता )नन्दन (दिल्ली ) अंतर्जाल पत्रिकाएँ –द्वीप लहरी ,हिन्दी चेतना ,प्रवासी पत्रिका ,लघुकथा डॉट कॉम आदि में सक्रियता । प्रकाशित पुस्तकें— रोशनी की तलाश में --काव्य संग्रह इसमें गीत ,समसामयिक कविताओं ,व्यंग कविताओं का समावेश है ।नारीमंथन संबंधी काव्य भी अछूता नहीं। बालकथा पुस्तकें---कहानियाँ मनोरंजक होने के साथ -साथ प्रेरक स्रोत हैं। चरित्र निर्माण की कसौटी पर खरी उतरती हुई ये बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होंगी ऐसा विशवास है । १ अंगूठा चूस २ अहंकारी राजा ३ जितनी चादर उतने पैर 4-मन की रानी छतरी में पानी 5-चाँद सा महल सम्मानित कृति--रोशनी की तलाश में(कविता संग्रह ) सम्मान --डा .कमला रत्नम सम्मान , राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान पुरस्कार --राष्ट्र निर्माता पुरस्कार (प. बंगाल -१९९६) वर्तमान लेखन का स्वरूप -- बाल साहित्य, लोककथाएँ, लघुकथाएँ लघुकथा संग्रह प्रकाशन हेतु प्रेस में