उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 54)
49. भावी सम्राट की भूमिका ‘सुल्ताना देवल, आपको हासिल करके हमें बहुत खुशी मिली है।’ मुबारक शाह देवलदेवी के रूखसारों पर
Read More49. भावी सम्राट की भूमिका ‘सुल्ताना देवल, आपको हासिल करके हमें बहुत खुशी मिली है।’ मुबारक शाह देवलदेवी के रूखसारों पर
Read More48. देह विडंबना का पूर्ण प्रतिशोध दो घड़ी रात गए द्वार पर कोलाहल सुन देवलदेवी वस्त्र संभालकर शय्या से उठ गई।
Read More47. स्त्रैण सुल्तान देवगिरी में शाही खेमा लगा है। उस खेमे में सुल्तान मुबारक और वजीर खुशरव शाह मौजूद हैं। देवगिरी
Read More46. अंतिम परियोजना हसन, जिसे सुल्तान मुबारक शाह खिलजी ने खुशरव शाह का खिताब अता किया था, उसके वक्ष से लिपटी
Read More45. हसन और मुबारक मुबारक, अलाउद्दीन का चौथा पुत्र था। अपने से बडे़ तीनों भाइयों की दुर्दशा देखकर उसे बड़ा खौफ
Read More44. अल्प खाँ का हिसाब शाही हरम, शाही दरबार इस समय कुचक्रों का अड्डा बन चुका है। मलिक काफूर के स्वार्थ
Read More43. भ्रष्ट शहजादे से पहला प्रतिशोध जिस समय मलिक काफूर अलाउद्दीन के निर्बल पुत्रों शादी खाँ और अबू वक्र को अपने
Read More42. सफलताएँ संभवतः समय स्वयं इस महामिलन की प्रतीक्षा में था, अंतरिक्ष इसी घड़ी की बाट जोह रहा था। देवलदेवी और
Read Moreदेवलदेवी कहती रही और धर्मदेव सुनते रहे, ठीक उसी तरह जैसे धर्मभक्त श्रीमद्भागवत पुराण का प्रवचन सुनता है। राजकुमारी देवलदेवी की
Read More41. महामिलन ‘वह’ उस समय नायबे सल्तनत मलिक काफूर का सहायक था, दक्खन की जंगों में उसने अपनी वीरता से नायबे
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