तृप्ति
तृप्ति ही तो नहीं मिलती बस यही तो कमी है, तृप्ति मिल जाए तो हम खुद ही खुदा हो जाएं।
Read Moreआभासी संवाद का सिलसिला पहली मुलाकात तक आ पहुंचा।जब रितेश और करुणा पहली बार मिले थे। यूं तो दोनों के
Read Moreएक साहित्यिक आयोजन के आमंत्रण हेतु शुरु हुआ आभासी संवाद का सिलसिला आगे बढ़ते बढ़ते हुए उस समय रिश्तों के
Read Moreसामान्य तौर पर देखिए तो अयोध्या में चुनाव बाद क्या बदलाकुछ भी तो नहीं।बस एक नया जनप्रतिनिधि गयाउसकी जगह दूसरा
Read Moreचुनाव के बाद अयोध्या मायूस है, निराश है अविश्वास के भंवर में तैर रही है, आरोप, प्रत्यारोप का दंश झेल
Read Moreभावनात्मक शक्तियों को सामाजिक संदर्भों में इंगित किया जाता है, इसे भावनाओं के समझने, पहचानने और सामाजिक स्वीकार्यता की क्षमता
Read Moreयूँ तो हम सब पिता का मान सम्मान करते हैं, कुछ दिल से और ज्यादा औपचारिकता निभाते हैं। पर विश्वास
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