साथ निभाना साथिया
बड़ी उम्मीद बड़ी हसरत हैसाथ निभाना साथिया की चाहत है,यह और बात है कि हमारे मन मेंछिपा हुआ चोर भी
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Read Moreशब्द या शब्दों का क्या? शब्दों की बड़ी अजब गजब माया है,हर कोई शब्दों को कहाँ जान पाया है?जो शब्दों
Read Moreवाणी को हमारे व्यक्तित्व की पहचान कहना पूर्ण सत्य नहीं कहा जा सकता, सिर्फ एक अंग भर कहा जा सकता
Read Moreआपका धन्यवाद हैजो आपने मुझे दुनिया से ही विदा कर दिया,और मेरी विदाई का खूब प्रचार कर दिया।इतना ही नहीं
Read Moreअब तो दिवास्वप्न सी लगती हैवो चूल्हे की रोटी,जिसे बड़े प्यार से माँ अपने हाथों से बढ़ाकरगोल गोल बनाकर चूल्हे
Read Moreपत्नी जी यदा कदा ही कहती हैंकुछ समझ नहीं आता कि आज क्या बनाऊँबदले में जब मैं कहता हूँकि कुछ
Read Moreभरी सभा में साड़ी खींचता दुशासनबेबस असहाय द्रौपदीआर्तनाद कर भरी सभा से गुहार करती,पर मौन थे उसके पांचों पतिलज्जा से
Read Moreस्वभाव और संस्कारों के विविध पहलुओं की चर्चा छिड़ जाय तो हर कोई अपना ज्ञान बघारने लगता है लेकिन
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