धूप छांव
धूप छांव का क्या है जो समझ में नहीं आता, ये जिंदगी की बगलगीर है क्या इतना पढ़ना भी
Read Moreव्यर्थ न जाए अन्न का दाना नारी में न इसे बहाना ये सब अब हो गया पुराना आज तो है
Read Moreपिछले कुछ दिनों से मेरे मन में एक डर सा समाया रहता था, पर उसका आशय क्या है बस!
Read Moreआज मैं एक प्रण ले रहा हूं अपनी सारी दौलत अपने साथ स्वर्ग ले जाने का प्रण, जो आज तक
Read Moreरिश्तों में भरोसा है तभी प्यार है, बिना भरोसे के प्यार कहां? बिना प्यार के रिश्ता कैसा? जब रिश्तों
Read Moreमहज एक सांस जो अंतिम होती है, सब कुछ खत्म कर देती है। पर अंतिम सांस का अनुभव कोई व्यक्त
Read Moreजब देश हुआ आज़ाद तब देश ने एक व्यवस्था बनाई, प्रजा करेगी राज प्रजा ही होगी व्यवस्थापक, बात सब के
Read Moreमाना कि आज मेरा वक्त थोड़ा या ज्यादा जो भी हो मगर खराब है, पर इसमें अजीब क्या है
Read Moreआइए विकास की नई तस्वीर बनाएं धरा को वनों के सवाल से मुक्त कराएं। हमें जीवन से मोह करके क्या
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