जीवन का खेल
हे प्रभु! ये कैसी लीला है तेरीक्या सोच रहा है तू, क्या विचार है तेराजो नित्य ही मुझे असंमजस के
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Read Moreमानव जीवन तमाम विडंबनाओं, विसंगतियों से भरा है, जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए कब हमारे जीवन की दिशा बदल
Read Moreएक दिन वो भी थाजब अचानक घटाटोप अंधेरा बढ़ रहा थाबिल्कुल भी कुछ नहीं सूझ रहा थानिराशा का छत्रप डरा
Read Moreविकास की राह पर चलते हुएआज भारत की तस्वीर बदल गई है,बीती बातें इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई
Read Moreवर्तमान परिवेश में संसार का कोई कोना ऐसा नहीं है जहाँ मीडिया की पहुंच न हो। साथ ही आधुनिकता और
Read Moreश्रेयस के जन्म के साथ ही गीता ने दुनिया छोड़ दी। रमण की तोक्षदुनिया उजड़ गई। नवजात शिशु की परवरिश
Read Moreअचानक आधी रात को मेरी नींद उचट गई। सोने का हर प्रयास असफल हो गया। तब मैं उठकर बैठ गया।
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