पिंजरे में बंद उत्कंठा
दूल्हा-शिकारी आया कपट-भरा प्रेम-जाल बिछाया फँसी दहेजी-दुल्हन चार-निवाले अंदर उड़ना चाही उत्कंठ-चिड़िया डाला मंगलसुत्र का फंदा महदूद हो गई पिंजरे
Read Moreदूल्हा-शिकारी आया कपट-भरा प्रेम-जाल बिछाया फँसी दहेजी-दुल्हन चार-निवाले अंदर उड़ना चाही उत्कंठ-चिड़िया डाला मंगलसुत्र का फंदा महदूद हो गई पिंजरे
Read Moreघूँट-घूँट पी गई सिसकियाँ अपनी आँखों के प्याले से दिल जमीं पर खिला था गुलाब सींच दिया क्रोध के निवाले
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