गुलशन
पूरवाई हवा युँ बह कर आई गुलाब कली चमन में शरमाई मधुकर ने दिया मुस्कान सज कर आया नया
Read Moreजागो जागो समाज के कर्णधार बेटियों पर हो रही है अत्याचार मानवता हो रही है शर्मसार मौन बैठी है देख
Read Moreकिस्मत के हैं खेल निराला कभी खुलता है कभी लगे ताला कोई नहीं जानता है जग में किसके
Read Moreभूख का दर्द वो क्या जाने जो भूखा कभी ना सोया हो भूख की मरम वो क्या जाने जो कभी
Read Moreजब जब हुई धर्म की हानि प्रभु ने किया संहार अभिमानी असत्य हर युग में सत्य से हारा सत्य का
Read Moreजहाँ होती है सज्जन जन का निवास वहाँ होती है नित्य पुण्य धर्म की संवाद जहाँ होती है दुर्जन जन
Read Moreकाश ! कोई हमसफर होता कितना सुहाना ये सफर होता दूर तलक चलते संग संग अपना एक ही डगर
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