कविता

पुतला दहन

पुतला जलाने से कुछ ना होगा
भीड़ लगाने से कुछ ना   होगा
शोर मचाने से भी कुछ ना होगा
रावण को जलाने से कुछ ना होगा

जलाना है तो कुपथ को जलाओ
.जलाना है तो र्दुव्यसन को जलाओ
जलाना है तो ईष्या द्वेष जलाओ
जलाना है तो  विदेष को जलाओ

जलाना होगा अन्दर की रावण को
जलाना होगा अन्दर की पापी को
जलाना होगा वेमनस्यता की पाली को
जलाना होगा अन्दर की काई को

जलाना है जग की दुश्मनी
जलाना है जग की कठपुतली
जलाना है जग की दबगंता
जलाना है जग की  र्दुगंधता

जला दो मन की छिपी बेईमानी
जला दो मन की उठी मनमानी
जला दो मन की  अज्ञानता
जला दो मन की अभिमानीता

जलाना है मन की कुरुपता
जलाना है मन की विषमता
जलाना है मन की कलंकता
जलाना है मन की अन्धकारता

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088