मानवता की चिता
जल रहा है मानवता की चिता इस निर्दय जगत की शमशान में खुश है मतलबी का नादान पिता इस बेशर्म
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Read Moreसरहद पर जो वीर जाते हैं देश का नायक कहलाते हैं हँस कर खेलते है खून की होली सरहद पे
Read Moreनदी है गहरी नाव पुरानी मंझधार में फँसी जीवन की कहानी साहिल खड़ा देख मुस्कुगाता पर मदद हेतु हाथ ना
Read Moreओ रब तुँने कैसा चमन लगाया आतंक के फूलों से उसे सजाया मारकाट का गुलदस्ता भेजवाया मानवता में पतझड़ क्यों
Read Moreधरती ने हरितिमा से प्यार किया सावन ने यौवन का श्रृंगार किया पर्वत से पूरवाई है टकराई वर्षा ने
Read Moreजग में फलीभूत हो रहा अपराध मस्त है अपराधी की दरबार कौन दे रहा है इसे धरातल मौन
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