कविता – सावन ने श्रृंगार किया
धरती ने हरितिमा से प्यार किया सावन ने यौवन का श्रृंगार किया पर्वत से पूरवाई है टकराई वर्षा ने
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Read Moreजग में फलीभूत हो रहा अपराध मस्त है अपराधी की दरबार कौन दे रहा है इसे धरातल मौन
Read Moreकिस पर करूँ भरोसा जगत में हर कोई है मतलब का यहाँ यार झुठी दुनियाँ ठग है गुणियॉ झुठों से
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