कविता – आतंक का चमन
ओ रब तुँने कैसा चमन लगाया आतंक के फूलों से उसे सजाया मारकाट का गुलदस्ता भेजवाया मानवता में पतझड़ क्यों
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Read Moreधरती ने हरितिमा से प्यार किया सावन ने यौवन का श्रृंगार किया पर्वत से पूरवाई है टकराई वर्षा ने
Read Moreजग में फलीभूत हो रहा अपराध मस्त है अपराधी की दरबार कौन दे रहा है इसे धरातल मौन
Read Moreकिस पर करूँ भरोसा जगत में हर कोई है मतलब का यहाँ यार झुठी दुनियाँ ठग है गुणियॉ झुठों से
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