मुसाफिरखाना
फकीर की तरह आया है फकीर की तरह चला जायेगा ये जग किसी का नहीं है घर तुँ कैसे ठहर
Read Moreफकीर की तरह आया है फकीर की तरह चला जायेगा ये जग किसी का नहीं है घर तुँ कैसे ठहर
Read Moreगाँव की मिट्टी बुला रही है याद तुम्हें भी दिला रही है हरी भरी खेतों की क्यारी कितनी सुन्दर कितनी
Read Moreलाख हमसे तुम नफरत कर लो याद बहुत मैं आ ही जाऊँ गा तेरी आँखों की तन्हाई में अपना अक्स
Read Moreसागर की लहरों पे खेलना आसमान से आगे है बढ़ना गर पाना है नई कोई मुकाम संघर्ष को करना है
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