बंधन
अपनी घनी जुल्फों की उलझन में मोहब्बत की एक कसमें दिला देना मधुकर की तरह बहक जाऊँ अगर फिर प्यार
Read Moreप्रकृति की है सब खेल निराली कुछ है भरा पूरा कुछ है खाली हर सुबहा की यहाँ होती है शाम
Read Moreदफ्तर अब हमें नहीं है जाना परदेश हो गया अब ये जमाना फाईल से मिल गई छुटकारा जीवन हो गया
Read Moreछेड दो साथी कोई राग पुरानी जिसमें छुपी है अपनी प्रेम कहानी गाँव की पहाड़ी पे थी जो निशानी जहाँ
Read Moreमत कर तुँ गुमान किसी का कुछ भी नहीं यहाँ स्थाई है पानी की बुलबुले है जिदंगी थोड़ी देर के
Read Moreकितना मासुम था अपना वो नजारा जब माँ का मैं बेटा था बड़ा ही दुलारा गोद में अपने बिठाकर ममता
Read Moreएक जंग है मानव की जीवन टुट जाता है जग में ये तन मन जब कहीं ना होता इसका उपचार
Read Moreपहली मुलाकात की अजीब था आलम सामने पत्थर पे बैठी थी मेरी जानम सूरज भी छुप रहा था
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