पुत्रमोह
गिरीश बाबू अपनी बेटी-दामाद के घर पूणे घुमने आए थे वहीं अचानक उनको दिल का दौरा पड़ गया अनु और
Read Moreआसमां से पूछना था अपने विशाल आनन के असंख्य तारों को कैसे तुमने संभाला है? चांद की शीतलता को कैसे
Read Moreदिल पर दस्तक देने वाले ऐ अजनबी कौन हो तुम? बेगाने -से इस शहर में जाने पहचाने-से कौन हो तुम?
Read Moreतू जो कर दे एक इशारा छोड़ दूं दुनिया सारा सांसों की मोहताज बनी इस जिंदगी को तेरे नाम कर
Read Moreआंखो का पानी बचा रहे खून में रवानी बनी रहे! हैवानियत के इस दौर में इंसानियत की आबरू बनी रहे!
Read Moreरहे आसमानों में उड़ते मगर नज़र जमीन पर होती है। ऐसे मिजाज तो बस अच्छे इंसान में होती है। चाहे
Read Moreउसूलों के सिक्कों का कोई मोल नहीं है आज के बाज़ार में जैसे चवन्नी-अठन्नी नहीं चलते—– किसी भी व्यापार में!
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