उपन्यास : शान्तिदूत (इक्यावनवीं कड़ी)
कृष्ण को कर्ण की मानसिक अवस्था देखकर दुःख हुआ। उन्होंने यह कल्पना तो की थी कि अपने जन्म का रहस्य
Read Moreकृष्ण को कर्ण की मानसिक अवस्था देखकर दुःख हुआ। उन्होंने यह कल्पना तो की थी कि अपने जन्म का रहस्य
Read More‘भगवन्, क्या आप जानते हैं कि मेरी माता कौन हैं?’ कर्ण ने कृष्ण की आंखों में देखकर यह सीधा प्रश्न
Read Moreप्रातः नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर कृष्ण ने कुंती और विदुर पत्नी से विदा ली तथा अपने साथी सात्यकि के
Read Moreकुंती की बात सुनकर कृष्ण सोच में पड़ गये। उस संभावित युद्ध में कर्ण और अर्जुन का संग्राम होना एक
Read Moreकृष्ण प्रश्नवाचक नेत्रों से सीधे कुंती की ओर देख रहे थे और अपने प्रश्न के उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे
Read Moreएकांत होते ही कुंती के मन में वे प्रश्न उभर आये जिनको वे कृष्ण से पूछना चाहती थीं- ‘गोविन्द, युद्ध
Read Moreअतिथि निवास में आकर कृष्ण ने सात्यकि को राजसभा की कार्यवाही संक्षेप में समझाई, यद्यपि उसकी आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि
Read Moreजब विदुर दुर्योधन को राजसभा में वापस लेकर आये, तब भी वह क्रोध से कांप रहा था। विदुर ने धृतराष्ट्र
Read Moreदुर्योधन के अशिष्टतापूर्वक राजसभा कक्ष से बाहर चले जाने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। यह उसकी जिन्दगी में पहला
Read Moreप्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में प्रारंभ से अभी तक वामपंथियों का वर्चस्व रहा है. बहुत प्रयासों के बाद भी राष्ट्रवादी
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