धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन

हम सभी हिन्दू दीपावली मनाते हैं और उस दिन अपने घर में प्रकाश के साथ-साथ लक्ष्मी और गणेश का पूजन करते हैं. अधिकांश लोग यह मानते हैं कि लक्ष्मी का पूजन इस लिए किया जाता है कि हमारे घर समृद्धि आये, क्योंकि लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है. उनका कहना ठीक है, लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि लक्ष्मी के साथ गणेश का पूजन भी क्यों किया जाता है, तो अधिकांश लोग कोई उत्तर नहीं दे पाते.

वास्तव में गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है. लक्ष्मी के साथ उनका पूजन हम इसलिए करते हैं कि हमें धन के साथ बुद्धि-विवेक भी प्राप्त हो, ताकि हम उस धन का परिवार, समाज और देश के हित में सदुपयोग ही करें. धन का दुरूपयोग होने की सम्भावना सबसे अधिक होती है, क्योंकि धन का नशा बहुत घातक होता है. इसलिए गणेश जी का पूजन करना अनिवार्य है.

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इसका एक अर्थ यह भी है कि धन को हम उचित और परिश्रम से ही कमायें, क्योंकि ऐसा ही धन शुभ होता है. अनुचित उपायों और बेईमानी से कमाए गए धन से सुख और समृद्धि की आशा करना मूर्खता है.

इस दीपावली पर और आगे भी लक्ष्मी-गणेश जी का पूजन करते हुए हम इस बात को ध्यान में रखें, तो हमारा पर्व सार्थक होगा.

सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.

विजय

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com