लघुकथा- असफलता में सफलता
यशवंत को लिखने का जैसे भूत सवार हो। यशवंत कहता था- एक दिन मैं बहुत बड़ा लेखक बनूगा। ‘देख लेना
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Read Moreरिचा और रणदीप दोनों एक ही सोसायटी में रहते हैं, लेकिन दोनों ही सोसायटी में रहने वाले और लड़के लड़कियों
Read Moreविकाश अपनी पढ़ाई के चलते घर से दूर दूसरे शहर में रहता है। विकाश की दूसरों की मदद के मामले
Read Moreखुद के ही सवालों में उलझा है कोई भी सवाल अभी न सुलझा है दिल को कोई न तोड़ दे
Read Moreअपनी माटी अपनी माटी हमें है अपनी जान से प्यारी इसके लिये कुछ भी कर जायेंगे अपनी जान भी दे
Read Moreअब रोक दो ये सब छोड़ दो बेरहम जंजीरो को अब तुम तोड़ दो एसिड क्या जलाएगा कितने दाग लगाएगा
Read Moreडिग्रियां नहीं जल रहीं हमारे ख्वाब जल रहे हैं नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं समानता का अधिकार
Read Moreउड़ जाने दो मुझको आसमाँ में बह जाने दो पानी की धारा में रूकना नहीं है मुझको जाना है रोशनी
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