इन्सानियत की पुकार
ये संसार है खूबसूरत युग भी बेहद खूबसूरत वो मुझे चाहता है बहुत मैं भी चाहता हूँ उसे बहुत मेरी
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Read Moreकहाँ खो गया मेरा शाही बचपन पेड़ों के झुरमुट की छाँव में बैठकर खुद में खुद ही खोकर कैसे मैं
Read Moreगुरमीत के पिता जी देहांत जब हुआ वह दसवीं पास कर चुका था । उसने जब भी अपने पिता सरदार
Read Moreजंगल में बैठे मस्ती करते गर्मी में रिमझिम का मजा तो वही ही ले सकते है जिसने कभी पेड़ो के
Read Moreरोज़ाना सुबह-सुबह समस्त समाचार पत्रों के अधिकांश पृष्ठ आधुनिक दौर में बढ़ती हुई आत्महत्याओं की क्षुब्ध कर देने वाली घटनाओं
Read Moreबातें बीते समय की थीं अपने परायों की यादें
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