उफ्फ़ गर्मी …
सूरज का कोप गर्मी बन बरस रहा धरती का आँचल पानी बिन तरस रहा वक्र हवा सर्पिणी सी
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Read Moreनेताजी ने एक आवश्यक बैठक में अपने सभी कार्यकर्ताओं को बुलाया और कहा- वैसे आप सबको पता होगा ही फिर
Read Moreगांधी की अहिंसा शास्त्री की सरलता किताबों में रह गई है सिर्फ कहानी राजा और प्रजा भटके हैं दोंनो कर
Read Moreये समय बड़ा ही धावक है सदा दौड़ता रहता है दिन रातों का आना-जाना, घड़ी-पल से तोलता रहता है वो
Read Moreआज रक्षा-बंधन का अवकाश है । नौकरीपेशा रहम़त की भी छुट्टी थी । अपने दैनिक कार्यों से निवृत होकर दोपहर
Read Moreबहुत दिनों से जूझ रही थी वो जालिम आखिर सफल हो ही गई अपने मकसद में और ले गयी वो
Read Moreआज पन्द्रह अगस्त है । शहर के खेल मैदान में पूरा शहर ‘स्वतंत्रता-दिवस’ मनाने जा रहा है । सुबह का
Read Moreभाव चुराते ताव चुराते साहित्य समुंदर पार करन को वो शब्दों की नाव चुराते हाथ- सफाई ऐसी करते अच्छे-अच्छे गच्चा खाते सूरज-चंदा छिपे ओट
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