कविता : *एक गुमनाम सुखनवर*
*एक गुमनाम सुखनवर* मुझसे मत पूछ मेरा रूदाद-ए-सफर, ना तो रस्तों का पता है ना ही मंजिल की खबर। तुझसे
Read More*एक गुमनाम सुखनवर* मुझसे मत पूछ मेरा रूदाद-ए-सफर, ना तो रस्तों का पता है ना ही मंजिल की खबर। तुझसे
Read Moreहाँ,ठीक है तुम कहते हो तो कहो कि आधुनिक होने के लिए सड़ी-गली परम्पराओं को छोड़ना जरूरी है लेकिन विस्मित
Read Moreकविता -: आजादी का प्रतिफल •••••••••••••••• पराधीन था अपना देश शोषित थे अपने लोग विवशता के आगोश में जकड़े हुए
Read Moreमेरे हिंदुस्तान की शान है तिरंगा, मेरे देश का अभिमान है तिरंगा। सजदे में इसके झुकती है दुनिया, हर हिंदुस्तानी
Read Moreकुछ यूँ मुहब्बत कर लो ,कि नफ़रत जल-जल के ख़ाक हो जाये.. कुछ यूँ इबादत कर लो,कि मन्दिर-मजजिद एकमत एक-विश्वास
Read Moreमाना कि हमें गांव आना तो था मुन्ने को साइकिल दिलाना तो था मुन्नी को झूला झुलाना तो था तुम्हारे
Read Moreयोगी जी इन साठ बच्चों की मौत का हिसाब देना होगा, कौन हैं कसूरवार इसके लिए, इसका जवाब देना होगा।
Read More