निखार
जीवन के संघर्षों से लड़कर भी जिनके बाल नहीं बिखरा करते असल जिंदगी में वो व्यक्ति ही निखरा करते
Read Moreदुर्मिल सवैया (वर्णिक ), शिल्प – आठ सगण, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा , 112 112 112
Read Moreतुलसीदास ओ तुलसीदास तुम भी प्रेम पाश में सारी हदें लांघ गये थे रजनी के तम में जली जो विरह
Read Moreतुम देखते हो एक औरत में आंखों की लंबाई होठों की चिकनाई स्तनों का आकार नितंबों की मोटाई तुम निहायती
Read Moreछंद, विधान~ [भगण मगण सगण+गुरु] ( 211 222 112 2, 10वर्ण,,4 चरण, दो-दो चरण सम तुकांत घाट बिना नौका कित
Read Moreमुझे तुमने देश की रक्षा का भार दिया है, मैं बन्दुक लिए सीमा पर खड़ा हूँ. कोई दुश्मन तुम्हारी ओर
Read Moreतुम मुझको नहीं रिझाओ मुझे हमेशा डर लगता है ऐसे न तुम कभी हंसाओ खुशियों में भी गम दिखता है
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