“पिरामिड”
(1) न कोई खिलौना तोड़े फोड़े दिल दर्पण मिलते जुलते जो टूटे जुड़े नहीं॥ (2 ये बच्चे घर में खिलौना
Read Moreसद्भावना जीवन सार बने हर मानव का श्रृंगार बने- सद्भावना से कायम धरती, यह भेद नहीं कोई करती, जग-जीवन को
Read Moreऔरत ! जिंदगी भर भट्टीखाने में धुएं में रोटियां सेंकती हुई बच्चों की परवरिश में गंवा देती है जिंदगी मर्द
Read Moreआदमी जब अपने सपनों को तिलांजलि देकर किसी औरत के लिए बुनता है एक नया सपना तब वह बन जाता
Read Moreइक हिलोर तेरी यादों की सुने अंतस के सुप्त कणों में रह-रह कर उठती है इक हिलोर अतीत के कब्र
Read Moreआदमी को चाहिए दो जोड़ी कपड़े भरपेट भोजन और सिर पर छप्पर जब यह मिल जाता है तो आदमी को
Read Moreनहीं बुरा लगा मुझको, बस दर्द पुराना छलक गया। मृत भगिनी याद हुई मुझको, नयनों से आंसू छलक गया।। कीमत
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