पूर्णिमा की रात
पूर्णिमा की रात में जब चाँद अपनी चाँदनी बिखेरता है तो पते पर पड़े कुछ जल की बूँदे मोती सा
Read Moreपूर्णिमा की रात में जब चाँद अपनी चाँदनी बिखेरता है तो पते पर पड़े कुछ जल की बूँदे मोती सा
Read Moreएक अजनबी बनकर ही तो तुम मिले थे परिचय से शुरू हुई थी बाते धीरे -धीरे होने लगे ढेरो बाते
Read Moreहम इंसान हैं ! तो क्यों ? जानवर सरीखे हो जाते हैं ! अपने विवेक से दूर होकर, भूल इंसानियत
Read Moreअगर बेटे हीरा है तो हीरे की खान है बेटियां अपने घर-गांव-देश की पहचान है बेटियां अगर बेटे सूरज है
Read Moreकहाँ खो गया वो स्वप्न सरीखा , सुंदर ,सलोना गांव अनोखा । भ्रातृत्व का खुलता था जहां , स्नेह ,अपनत्व
Read Moreप्यार ऐसा ही होता धड़कन की चाल बढ़ सी जाती जाने क्यों जब तुम सामने से गुजरती आँखों में अजीब
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