वर्ण-पिरामिड
स्वर्ण साधना देह मन अहंकारित मृग तृष्णा व्याल कनक माया जाल । ये स्वर्ण प्रवेश कलियुग चढ़ मुकुट राजा परीक्षित है
Read Moreस्वर्ण साधना देह मन अहंकारित मृग तृष्णा व्याल कनक माया जाल । ये स्वर्ण प्रवेश कलियुग चढ़ मुकुट राजा परीक्षित है
Read Moreजब से रावत जी ने बोला , आतंकी को ठोकेंगे सारा भारत समझ गया था ,अब कुछ कुत्ते भौकेंगे पत्थर
Read Moreतेरे ख्यालों में… गुजरने लगे हैं, रात और दिन ! तू पास हो न हो, तू संग मेरे रहता है
Read Moreइक खामोशी अक्सर फैल जाती है हम दोनों में कभी -कभी … इक दूजे में गुम होना भी अच्छा लगता
Read Moreजब से सेना ने बोला है , मददगार को फाड़ेंगे पत्थर बाजो को आतंकी ,के जैसे ही मारेंगे इतना सुनते
Read Moreबहुत नाराज़ हैं अपने मनाऊँ मैं भला कैसे वो जो हालात बिगड़े हैं संवारुं मैं भला कैसे गरीब हालात थे
Read Moreहरिगीतिका छंद ――――――― रोये नहीं कश्मीर पर , रोये बड़े गुजरात पर रोये न कैराना हुआ ,रोये बहुत अख़लाक़ पर
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