बादल
उमड़ घुमड़ कड़ कड़के,बादल बल दल के। अपनी भरी जवानी सावन भादों बरसे पानी।। गली सभी कीचड़ से भरिगे,इत उत
Read Moreमन की व्यथा मन में ही रखती हूं किसी से बिन बताए खुद ही सहती हूं कितना भी लब पर
Read Moreलो सौप दिया अब अपने आप को तेरे हवाले मेरे रूह मे तु जो बसते हो हर इक सॉस के
Read Moreपीत वसन धारा मधुमासा। पुलकित उर जागी बहु आसा ।। सुरभित सरसों हिय मदमाती। देख तिन्हें अवनि हरषाती।। वन-उपवन में
Read Moreहाथ गुलाबी फूल हिया में बिधते उसके शूल गजब दस्तूर वसूल | लोहे को पारस ने छूकर उसको किया निर्मूल
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