सितारा
कितना अभागा हूँ, मैं अम्बर का इक सितारा हूँ । किसे सुनाऊं मनोव्यथा, हाल हृदय का कैसा है । तेरे
Read Moreचलती रही है जिंदगी, मानक माफक रैन जो मिला जैसे मिला, माना निधि व चैन माना निधि व चैन, पहुँच
Read Moreजब भी मैंने प्रकाश को देखा तो वो सूरज का हिस्सा लगा। जब मैंने अंधकार को देखा, वह भ्रष्टाचार के
Read Moreदिन गुजर गए न रही वो बेखबर , बेपरवाह वाली जिंदगी अपने हम में रहते थे हमसब मुफलिसी में भी
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