कविता
मन के भाव , हृदय के उद्गगार, जब फूट पड़ते हैं तब कविता बनती हैं । जब होती है हृदय
Read Moreयह कैसा परिवर्तन है दृष्टि दया की भीख नहीं है गरीब दुखियों की चीख़ भरी है एक तरफ है भरा
Read Moreबदलती गई दुनिया बदलते गये लोग। हर समय पर ख्वाब रचते गये लोग। पहन कर लोग यहां स्वार्थ की खोलड़ी।
Read Moreशरीर अपनी आत्मा को बिदा करना नहीं चाहता या यू कहे आत्मा शरीर को त्यागना नहीं चाहता एक तड़फन/ऐठन एक
Read Moreआज चाँद मुझसे बोला अरे ! सुनो मैं फिर आ गया और तुम अब तक बैठे हो उदास, मैं हर
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