कविता : मेरी मड़ई ने भींगे…
हे इन्द्र ! तू बरस लेकिन इस शर्त के साथ कि मेरी मड़ई ने भींगे । महाजनी कर्ज भी कहाँ
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Read Moreराखी के अवसर पर बहन जब भाई को राखी बांधती है तो उस से किसी उपहार या पैसों की अपेक्षा
Read Moreकन्याकुँवारी…. उम्र भयी अब , वर की चिंता , घर की पूँजी , दॉव लगाए , है…बाजार ,
Read Moreशीर्षक- सहेली – आली, सखी,सखा, सहचरी, सजनी, सैरन्ध्री वृन्दावन की सहचरी, नयन रम्यता बाग आली झूम रही सखा, कोकिल कंठी
Read Moreना स्वार्थ का लेप , ना इच्छाओं का अवलंबन है चट्टान सा मज़बूत , भाई – बहन का बंधन पर्व
Read Moreदुनिया की रंगरलियों से दूर जहाँ कुदरत की बजती है सरगम, ऑक्सीजन हवा में कम है फिर भी दोगुना
Read Moreबहर 1222 1222 1222 1222 नये सपने नयी राहें, कदम आगे बढ़ाने हैं। लगायेगी गले हमको, सफलता एक दिन यारो।
Read Moreउड़ा तिरंगा भारती, देख रहा संसार छद्म पराजित हो गया, बौना छुद्र विचार काश्मीर लहरा रहा, भारत माँ की शान
Read Moreगंगा यमुना कह रहीं, याद करों तहजीब हम कलकल बहते रहें, ढोते रहे तरकीब अवरुद्ध हुई है चाल, चलूँ मैं
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