कविता : यह कैसा है दर्द
मर जायेगा वो इन्सान, अपने मानसिक तनाव से, कुन्ठित हो जायेगा वह इन्सान, इस जगह पर, सिकुड़ जायेगी, मानसिक मांसपेशियां,
Read Moreमर जायेगा वो इन्सान, अपने मानसिक तनाव से, कुन्ठित हो जायेगा वह इन्सान, इस जगह पर, सिकुड़ जायेगी, मानसिक मांसपेशियां,
Read Moreजब मिलता है प्यार कहीं तो प्यार जताना पड़ता है। दिल से दिल मिल जाता तो दिल लगाना पड़ता है।
Read Moreज़िंदगी जैसे एक समझौता बन कर रह गई है, अपने दिल की आरज़ू और ख्वाइशे— जैसे नदिया में बह गई
Read Moreमेरा तडप रहा है तन में लगी है आग सूनी है फूलवारी सूना है मन का बाग। रोज मुंडेरे पे
Read Moreअसम है मेरा असम, प्यारा है मुझको असम, हुआ जनम यहीं और यही करम, असम है मेरा सनम। है जब
Read Moreमेघ जल बरसा रहे धरती की अग्न मिटा रहे कलि कलि मुस्का रही किसान ख़ुशी से झूम रहे अपने खेतों
Read Moreतुम जहां भी रहो मुस्कुराते रहो!! गीत- गाते हुए खिलखिलाते रहो। फूलों की तरह पंखुड़ी खोलकर सब जगह सुगंध पहुँचाते
Read Moreकल्पवृक्ष एक साधना, देवा ऋषि की राह पात पात से तप तपा, डाल डाल से छांह डाल डाल से छांह,
Read Moreदिल हमारा बेकरार है तुम्हारा ही इंतज़ार है तुम्हारे सिवा कोई भाता नही जाने ये कैसा खुमार है जबसे हुए
Read Moreहर आदमी एक मजदूर है | कोई कम तो कोई ज्यादा मजबूर है | संघर्ष से मिलता जन्नत का नूर
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