कोलाहल
शहर के कोलाहल से दूर घनी आबादी से हट केनीरवता के बीच रास्ता जो जाता हैमेरे गांव की ओरगुजरता हूँ
Read Moreचित्र अभिव्यक्ति ( पद्य या गद्य विधा ) पुत्तर खुश पंजाब दा, शत श्री श्रीयाकाल आइ लोहड़ी झूमती, भांगड़ा खुश
Read Moreतेरे और मेरे दर्मियाँ बस यादों का रिश्ता है शेष जिस्म बेजान सा जिन्दा लाश बन गयी हूँ मैं तुझसे
Read Moreमेरे देश के नेता ऐसे होते वोट के लिए हाथ जोडते काम न बने तो पांव पकडते फिर भी न
Read Moreकुछ लिखने को जी करता है, उन्हें अपना कहने को जी करता है, रात आती है सुलाने लगती है, कोई
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