सपने
मैं देखती हूँ जो सपने, क्या ये होंगे कभी अपने, दिल में बार बार ये सवाल उभरता है। इस सवाल
Read Moreकल रात की बासी रोटी को , मैं आज मजे से खा रहा हूँ , कल एक घर बना के
Read Moreमन मह छाए रहता नितप्रति बहुरि करूँगी उससे विनती कह सुन लूँगी उससे बाता है सखि साजन, नहि सखि दाता॥
Read Moreआज मजदूर दिवस पर सभी मजदूर भाई बहन को सादर प्रणाम, एवं हार्दिक बधाई मजदूरों की मज़बूरी को, समझो भी
Read Moreमेरे इन बालअश्रुओं में मेरे नन्हे-श्रम-स्वेद-बिन्दु भी मिले हुए हैं । मेरा बचपन नहीं जानता मेरे हाथों को ये काम
Read Moreकोई है किसी के मन की रानी, कोई है किसी के महलों की रानी, कोई है किसी के अधरों की
Read Moreचिंतन यू होता नहीं, बिन चिंता की आह बैठ शिला पर सोचती, कितनी आहत राह निर्झरणी बस में नहीं, कमल
Read Moreक्यों मर्यादा की… चादर ओढ़े, दिन-रात यूँ ही… घुट -2 के जियूँ ! क्यों अोड़ … आडम्बर की चादर, जहर
Read Moreमुद्दत बाद आज आंसू पोंछ भी रहे हो तो क्या ‘मंजु’ सारी उम्र का तो वादा नहीं किया तुमने ‘मंजु’
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