“कुंडलिया छंद”
गर्मी का है बचपना, जीवन हुआ मोहाल अभी जवानी देखना, बाकी है दिन लाल बाकी है दिन लाल, दनादन
Read Moreगर्मी का है बचपना, जीवन हुआ मोहाल अभी जवानी देखना, बाकी है दिन लाल बाकी है दिन लाल, दनादन
Read Moreमुझे लगा तुमने कुछ कहा नजरें उठा कर देखा तुम्हारी उगंलियां फोन पर मचल रही थीं घना अंधेरा सहम गई
Read Moreशीर्षक मुक्तक, प्रदत शीर्षक / शक्ति /बल/ताकत आदि ताकत बल भी खूब है, जब तक रहे शरीर जर जमीन और
Read Moreपावन दिन है नया वर्ष है माँ आँगन में आई है पावन से इस महापर्व की सबको आज बधाई है
Read Moreजख्म सींचते सींचते दर्द हुआ बेअसर आह के संगीत से ही उठी आनंद लहर क्षणिक राहतो ने दिया जब कल
Read Moreमैं कहती थी अम्मा को तनिक बैठ कर सुस्ता लो ना तूम फिरकी सी क्यों फिरती हो तुम क्या कोहलू
Read Moreप्रष्फुटित चित्त है हुआ जब से, महत महका किया है अन्तस से; अहम् विकसित हुआ किया चुप से, शिशु सृष्टि
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