आत्मकथा : एक नज़र पीछे की ओर (कड़ी 20)
विश्व संवाद केन्द्र से जुड़ाव लिखने-पढ़ने में मेरी प्रारम्भ से ही रुचि रही है और राजनीतिक घटनाओं में भी। मैं
Read Moreविश्व संवाद केन्द्र से जुड़ाव लिखने-पढ़ने में मेरी प्रारम्भ से ही रुचि रही है और राजनीतिक घटनाओं में भी। मैं
Read Moreअब नये काम के लिए, जो टी0वी0 का लाइसेंस मिला था, काफी रुपये की जरूरत थी। मैंने वह प्लाट जो
Read Moreबच्चों की पढ़ाई ईश्वर की कृपा से हमारे दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत तेज रहे हैं। दीपांक कक्षा 2 से
Read Moreइसी बीच एक लड़का आकर रमेश के दो जोड़ी के क्रय का व्यौरा लिखाने लगा, जबकि रमेश ने कुछ खरीदा
Read Moreनये स.म.प्र. श्री दौलतानी श्री एस.एन.पी. सिंह की जगह श्री अजित लाल दौलतानी हमारे स.म.प्र. बनकर आये। उनसे मेरा पूर्व
Read More13 अप्रैल, 1974 बैसाखी का दिन था। मैं आशु को गुलाब की टहनियों से पानी छपका रहा था, रसोई में
Read Moreगुलशन जी कपूर का कार्य श्री गुलशन कपूर हमारे मंडलीय कार्यालय में अग्रिम विभाग (ऋण विभाग) में प्रबंधक थे। एक
Read Moreअनन्त राम को बाकी रुपया तो मैं अदा कर चुका था, सात सौ उसका बाकी रह गया था। जब मिलनी
Read Moreपप्पूजी की बीमारी मेरी साली राधा (गुड़िया) का विवाह हो चुका था, परन्तु दुर्भाग्य से उसके कोई सन्तान नहीं थी।
Read Moreभ्राता जी कभी कभी लुधियाने आते रहते। उनकी जुबानी मोहिनी की अच्छाई और शराफत सुनता तो बहुत अच्छा लगता। शाम
Read More