लघुकथा – तिरंगा
जब पाँच साल का था तब से तिरंगा लेकर दौड़ा करता था. जय हिन्द के नारों से पूरा घर गुँजा
Read Moreजब पाँच साल का था तब से तिरंगा लेकर दौड़ा करता था. जय हिन्द के नारों से पूरा घर गुँजा
Read Moreसना ! हां ! यही नाम था उसका । एक उभरती हुई लेखिका । उसकी लिखी कहानियां पाठकों को
Read Moreदेखिये मिसेस रस्तोगी,मैंने आपही के कहने पर चमकी को इस वाली बीसी में मेम्बर बनाया था।आपही ने तो कहा था
Read Moreनैना आज बहुत गुस्से में थी, हाथ में लिया आधा गिलास पानी भी उसके गले से नीचे नहीं उतर रहा
Read Moreकेकड़े पकड़कर जीविकोपार्जन करने वाले देवव्रत के हाथ पर मरहम पट्टी हो गई थी और अब डॉक्टर उसके सिर के
Read Moreआज धावक रोजर बैनिस्टर के पास था एक मुट्ठी आसमान और उगते सूरज की लालिमा का मनोरम दृश्य. उसका सपना
Read Moreएक दिन सरिता की प्रधानाचार्या का फोन आया. सरिता को प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के लिए निर्वाचित किया गया था.
Read Moreस्नेहा और स्निग्धा बचपन में साथ पढ़ी थीं. कई सालों बाद आज वे एक लेखक सेमीनार में मिली थीं. स्नेहा
Read Moreएक चांदनी रात को बादशाह शाहजहान, ताजमहल के इर्द गिर्द घूम रहे थे। कभी वोह संगमरमर के बने हुए बैंच
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