लघुकथा-धुंध
आज सुमन ने नव वर्ष के आगमन में खूब शानदार पार्टी रखने की सोची । आज वैभव भी आ रहा
Read Moreआज सुमन ने नव वर्ष के आगमन में खूब शानदार पार्टी रखने की सोची । आज वैभव भी आ रहा
Read Moreपैतृक गांव के श्मशान घाट से घर लौट कर आते समय ही रमेश का फोन बजा । उसने फोन कान
Read Moreपुराने कागज़ों को खंगालते हुए आज सुनीता के हाथ में अपने पी.जी.टी. के साक्षात्कार के परिणाम की वह सूची आ
Read More”आ गए गुलछर्रे उड़ा कर” दरवाज़ा खोलते ही रूचि ने व्यंग्य से रोहन को बोला”. ”ये क्या कह रही हो ?”
Read Moreसरिता अपनी ताई जी की करुण कहानी कभी भी नहीं भुला पाई. चार बेटे डॉक्टर, चार बहुएं डॉक्टर, पॉश कॉलोनी
Read Moreसमय समय की बात है शायद यही तो ऋतुओं की सौगात है। गर्मी जाड़ा और बरसात हमारे साथ साथ है
Read Moreसदर बाज़ार में कुछ काम था। काम करते करते काफी समय हो गया । भूख लगी थी सोचा काफी हाउस
Read Moreशंकर जी आज बडे उदास थे, बेटी की शादी के लिये उन्हें उनके मन मुताबिक लडका नहीं मिल रहा था
Read Moreछोटी बिटिया के ससुराल में सब कुछ ठीक ठाक नहीं होने की वजह से चिंतित सिद्धेश्वर बाबू को उनके समधी
Read Moreसमाचार देख रही छोटी रिया ने अपने पापा से अचानक पूछा ‘पापा ये हिन्दू मुस्लिम कोन है जो हमेशा ही
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